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राष्ट्रपति पद के लिए गौर कांग्रेसी उम्मीदवार श्री पूर्णो संगमा ने अपने व्यक्तित्व और व्यवहार से एक विशेष पहचान बनाई है और जो प्रश्न उन्होंने खड़े किए हैं वे वर्तमान भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दु:ख इस बात का है कि मीडिया और एक राजनीतिक वर्ग उनको वह महत्व नहीं दे रहा है, जिसके वे योग्य पात्र हैं।
संगमा के ये प्रश्न सोचने पर विवश करते हैं कि देश में राजनीतिक संवाद क्यों नहीं होता? प्रणव मुखर्जी ने सात बार देश का बजट प्रस्तुत किया। वित्त मंत्री होने के नाते क्या उनसे यह पूछा नहीं जाना चाहिए कि आदरणीय महोदय, देश के भ्रष्टाचारियों द्वारा जो लाखों-करोड़ों रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा किया गया है उसे वापस लाने के लिए आपने क्यो ठोस उपाय किए? देश में बढ़ रही मंहगाई और गरीबी को रोकने के लिए आपने क्या शानदार कदम उठाए? देश में इतना अधिक भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, क्या आपने उसके बारे में कभी आवाज बुलंद की और उसके विरुद्ध किसी बड़े अभियान को सहारा दिया?
भारत का राष्ट्रपति दलीय भेदभाव से परे भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का ऐसा प्रतिनिधि होना चाहिए जो सबको साथ में लेकर चल सके और सबका समान रूप से विश्वास अर्जित कर सके। एक जनजातीय और उत्तर पूर्वांचल से आए संगमा के प्रश्न मन को मथने वाले हैं तथा सीधा-सपाट उत्तर चाहते हैं।
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